Acharya Pandit Devendra Upadhayay | Ujjain
क्या है वास्तु शांति पूजा अक्सर हम महसूस करते हैं कि घर में क्लेश रहता है या फिर हर रोज कोई न कोई नुक्सान घर में होता रहता है।
वास्तु का अर्थ है एक ऐसा स्थान जहां भगवान और मनुष्य एक साथ रहते हैं। हमारा शरीर पांच मुख्य पदार्थों से बना है और वास्तु का संबंध इन पांचों ही तत्वों से माना जाता है। कई बार ऐसा होता है कि हमारा घर हमारे शरीर के अनुकूल नहीं होता है तब यह बात हमें प्रभावित करती है और इसी को वास्तु दोष बोला जाता है।
वास्तु शास्त्र एक विज्ञान है जो हमारे घर और काम के स्थान पर समृद्धि, मानसिक शांति, खुशी और सामंजस्य को प्राप्त करने में मदद करता हैं। वास्तु हमारे चारों ओर उपस्थित विभिन्न ऊर्जा को इस तरीके से कवच के रूप में पिरोता है कि व्यक्ति सदभाव से रहता हैं।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश अन्य सभी देवी-देवताओं की पूजा के साथ-साथ वास्तु की पूजा भी जाती हैं। वास्तु पूजा से वातावरण में फैली हुई सभी बाधाओं को खत्म किया जा सकता है अन्यथा जीवन जीने में बाधा उतपन्न हो सकती हैं। वास्तु अनहोनी, नुकसान और दुर्भाग्य से भी बचाता है।
कई मह्त्वपूर्ण कार्यो जैसे अनुष्ठान, भूमि पूजन, नींव खनन, कुआं खनन, शिलान्यास, द्वार स्थापन व गृह प्रवेश आदि अवसरों पर वास्तु देव पूजा का विधान है। घर के किसी भी भाग को तोड़ कर दोबारा बनाने से वास्तु भंग दोष लग जाता है।
इसकी शांति के लिए वास्तु देव पूजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त भी यदि आपको लगता है कि किसी वास्तु दोष के कारण आपके घर में कलह, धन हानि व रोग आदि हो रहे हैं तो आपको वास्तु पूजन करवा लेना चाहिए। किसी शुभ दिन या रवि पुष्य योग को वास्तु पूजन कराना चाहिए।